Friday, November 30, 2007

शबरी मंदिर

नगर की दक्षिण दिशा में शबरी देवी (सौराइन दाई) का मंदिर स्थित है। ईंट से बना यह मंदिर पूर्वाभिमुख है। लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के शिलालेख में इसके निर्माण के काल का उल्लेख है :-

कारितं विस्तृतं शौरि मंडपं पुण्कारिणा।
गंगाधरेण धरणे ललामेवाति सुन्दरम्।।

अर्थात् गंगाधर नामक अमात्य ने एक शौरि मंडप का निर्माण कराकर पुण्य का कार्य किया है। शौरि वास्तव में विष्णु का एक नाम है और यह क्षेत्र भी विष्णु प्रतिमाओं के कारण श्री नारायण क्षेत्र या श्री पुरूषोत्तम क्षेत्र कहलाता है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। इस मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गरूड़ जी की मूर्ति है। अत: इसके विष्णु मंदिर होने की कल्पना की जा सकती है। सम्प्रति यहां देवी की मूर्ति है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति कब और किसने स्थापित की, यह पता नहीं चलता। संभवत: विष्णु और शक्ति में सामंजस्य स्थापित करने के लिए इस मंदिर में देवी की स्थापना की गई है।

मंदिर के सभा मंडप की दीवारों में खड़ी मूर्तियां है जिनमें अधिकांश भैरव जी की मूर्ति है। कंधे में धनुष लटकाये श्रीराम और लक्ष्मण की भी मूर्तियां यहां है। सिंदूर और चूने से पुताई कर देने से इसकी मौलिकता छिप गई है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक खंडित अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमा उपेक्षित हैं। हालांकि नागरिकों की मांग पर केन्द्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा दीवार से मंदिर को घेर दिया गया है।

1 comment:

Rahul Singh said...

मंदिर और लेख के काल में अंतर होने से दोनों को इस प्रकार समीकृत किया जाना उचित नहीं है.